नहीं मिला पेमेंट, 12 लाख बाकी; रामलला की मूर्ति बनाकर सुर्खियों में आए अरुण योगीराज को लेकर दावा

नहीं मिला पेमेंट, 12 लाख बाकी; रामलला की मूर्ति बनाकर सुर्खियों में आए अरुण योगीराज को लेकर दावा

अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद रामलला की मूर्ति बनाने वाले अरुण योगीराज चर्चाओं में आ गए हैं।

उन्होंने पिछले कई महीनों में दिन-रात काम करते हुए रामलला की मूर्ति को आकार दिया। इस मूर्ति को देश-दुनिया में काफी पसंद किया गया है।

अब अरुण योगीराज को लेकर एक बीजेपी विधायक ने दावा किया है कि उन्हें उनके काम के लिए भुगतान नहीं किया गया।

हालांकि, रामलला की मूर्ति के लिए नहीं, बल्कि वोडेयार राजवंश के राजा की मूर्ति गढ़ने के लिए योगीराज को मैसूर नगर निगम ने भुगतान नहीं किया है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर किए गए एक पोस्ट में बीजेपी विधायक बसनगौड़ा आर पाटिल (यत्नाल) ने लिखा, ”साल 2016 में अरुण योगीराज ने श्री जयचामाराजेन्द्र वोडेयार की मूर्ति बनाई थी। अब तक कुल आठ साल हो गए हैं, लेकिन मैसूर नगर निगम ने योगीराज को उनके काम के लिए पेमेंट नहीं किया है। यह एक मूर्तिकार के साथ-साथ यदुवंश के राजा का भी अपमान है।” 

बीजेपी विधायक का दावा है कि मैसूर नगर निगम के पास अभी 12 लाख रुपये बकाया हैं, जिसे उन्हें योगीराज को पेमेंट करना है।

इस बारे में बात करते हुए मैसूर नगर निगम का कहना है कि उन्हें इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है कि योगीराज को भुगतान नहीं किया गया है। वे रिकॉर्ड्स को चेक करेंगे और फिर बीजेपी विधायक के आरोपों पर जवाब देंगे।

बता दें कि अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई है। इस समारोह में पीएम मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ समेत छह हजार से ज्यादा लोग मौजूद रहे थे।

अगले दिन से ही राम मंदिर को आम भक्तों के लिए खोल दिया गया है। रोजाना लाखों लोग रामलला के दर्शन करने के लिए मंदिर पहुंच रहे हैं। राम मंदिर के गर्भगृह में रखने के लिए तीन मूर्तियों में से एक मूर्ति का चयन किया गया था।

रामलला की वह मूर्ति प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाई थी। पिछले दिनों तमाम इंटरव्यूज में योगीराज ने मूर्ति को लेकर कई जानकारियां दी थीं।

उन्होंने कहा था कि जब वे रामलला की मूर्ति बनाते थे, तब रोजाना शाम चार से पांच बजे के बीच एक बंदर वहां आता था और मूर्ति को देखकर वापस चला जाता था।

इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा था कि जब पहली बार मूर्ति को ट्रस्ट के लोगों को दिखाई तो सबने सबसे पहले रामलला के सामने हाथ जोड़े थे।

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