भोपाल : विज्ञान और समाज के बीच सेतु निर्माण आवश्यक है। विज्ञान को व्यवहारिक जीवन के साथ सामंजस्य स्थापित कर कैसे आगे बढ़ सकते है, इस बात को सभी वैज्ञानिक एवं अकादमिक संस्थानों को समझना चाहिए। विज्ञान भारती के राष्ट्रीय सह संगठन सचिव प्रवीण रामदास 11 वें भोपाल विज्ञान मेला के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और अन्य महान वैज्ञानिकों के योगदान को हमेशा याद रखते हुए देश हित में विज्ञान से विकास के बारे में कार्य करना चाहिए। मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद और विज्ञान भारती के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित 11वें भोपाल विज्ञान मेले का शुभारंभ शुक्रवार को जंबूरी मैदान में किया गया।
मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी ने 'विज्ञान की बात, जन-जन के साथ' की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि विज्ञान को मातृभाषा में समझाना आवश्यक है। उन्होंने छात्रों को मौलिक कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहते हुए वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी। विज्ञान भारती मध्य भारत के अध्यक्ष डॉ. अमोध गुप्ता ने 'स्वदेशी विज्ञान आंदोलन' पर प्रकाश डालते हुए स्वदेशी विज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान किया। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. सुधीर भदौरिया, विज्ञान भारती ने विज्ञान मेले को 'एक उत्सव' की संज्ञा देते हुए कहा कि विज्ञान को समाज में एक सशक्त माध्यम के रूप में अपनाना चाहिए।
भोपाल विज्ञान मेले का पहला दिन नवाचार और स्वदेशी विज्ञान के संगम पर आधारित रहा। विद्यालयीन और महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर अपने वैज्ञानिक मॉडल का प्रेजेंटेशन दिया। मेले में 150 से अधिक वैज्ञानिक मॉडल प्रस्तुत किए गए हैं। इस अवसर पर विज्ञान प्रतिभा पुरस्कार से सम्बंधित सत्र आयोजित किया गया जो कि विद्यालयीन छात्र-छात्राओं के लिए था। इसमें एम्प्री के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एन. सतीश ने छात्रों के रोचक प्रश्नों के उत्तर दिए।
मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ योजना पर भी एक व्याख्यान सत्र हुआ। इसमें विज्ञान के क्षेत्र में युवाओं के लिए कैरियर निर्माण के बारे में भी बात की गयी। 18 से 29 वर्ष के मध्यप्रदेश के युवाओं को विज्ञान एवं कौशल-आधारित प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से यह योजना शुरू की गई है। 12वीं या आईटीआई उत्तीर्ण युवा 46 क्षेत्रों और 1,134 पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। प्रबंधन, मीडिया, विधिक सेवाएं, पर्यटन और वित्त जैसे क्षेत्र शामिल हैं। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' के साथ किया गया।
शनिवार के प्रमुख आकर्षण
विज्ञान मेले के दूसरे दिन 28 दिसंबर को विज्ञान के छात्रों के लिए विद्यार्थी विज्ञान संवाद, विज्ञान शिक्षक कार्यशाला, अगरिया जनजाति द्वारा लोहा बनाने की भट्टी का प्रदर्शन, बेल मेटल निर्माण का प्रदर्शन भी किया जायेगा। विद्यार्थियों की मॉडल प्रदर्शनी, कारीगर विज्ञान के प्रदर्शन, क्रिएटिव लर्निंग सेंटर, प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी पेवेलियन, हस्तशिल्प पेवेलियन, औषधीय पौधों का पेवेलियन, कृषि-प्रौद्योगिकी पेवेलियन, प्रमुख वैज्ञानिकों की जीवनी पर पेवेलियन, विभिन्न सरकारी योजनाओं पर पेवेलियन आदि भी होंगे। विभिन्न राष्ट्रीय और राज्य स्तर के संगठन/संस्थाएँ जैसे डीएई, इसरो, डीआरडीओ, ब्रह्मोस, एनटीपीसी, एनएचडीसी, सीआईएल, सीएसआईआर प्रयोगशालाएँ और कृषि परिषदें अपने सफलतापूर्वक किए गए कार्यों और नवाचारों को प्रदर्शित किया जायेगा।