बलौदाबाजार
छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार-भाटापारा के दीपक किंगरानी को साल 2023 के लिये राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में उन्हें सर्वश्रेष्ठ संवाद लेखन का पुरस्कार मिला है। उनकी इस उपलब्धि से पूरे प्रदेश का मान बढ़ा है। मनोरंजन जगत में हर्ष की लहर है। छोटे से कस्बे भाटापारा से ताल्लुक रखने वाले दीपक मानते हैं कि सिनेमा सीखने का सबसे सही तरीका है, अच्छा सिनेमा देखना। उनकी लिखी फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ इन पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ फिल्म पुरस्कार की दौड़ में शामिल रही।
इंजीनियरिंग की पढ़ाई करके सिनेमा में अपनी किस्मत आजमाने मुंबई पहुंचे दीपक किंगरानी ने लंबे संघर्ष के बाद सफलता देखी है और इसके लिए वह उन सबका एहसान मानते हैं जिन्होंने उनके सपने को साकार किया। उनकी लिखी फिल्म ‘सिर्फ एक बंदा काफी है’ साल 2023 की रिलीज हिंदी फिल्मों में सबसे अच्छी फिल्म मानी गई थी।
राष्ट्रीय फिल्म जीत चुके हैं दीपक
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुके दीपक किंगरानी ने कहीं से भी स्क्रिप्ट राइटिंग जैसा कोई कोर्स नहीं किया है। उन्होंने 27 मई 2023 को अमर उजाला में दिये अपने साक्षात्कार में कहा था कि तमाम अंग्रेजी फिल्मों की पटकथाओं ने मेरी मदद की। भारत में अभी इसकी अधिक उपलब्धता नहीं है लेकिन विदेश में रिलीज हो चुकी फिल्मों की पटकथाएं आसानी से मिल जाती हैं, तो पहले मैं एक फिल्म देखता था। फिर उस फिल्म को दोबारा देखता था, उसकी पटकथा को अपने लैपटॉप पर खोलकर। मैं दोनों चीजें समझता और ये समझता कि किसी दृश्य को जमाने, उसे आगे बढ़ाने और फिर एक दृश्य से दूसरे दृश्य तक जाने का खास बिंदु क्या होगा। बस, मैंने पटकथा लेखन ऐसे ही सीखा, मैं कभी किसी फिल्म स्कूल नहीं गया।”
शौक के लिये छोड़ी थी लाखों पैकेज की नौकरी
भाटापारा और रायपुर से स्कूल और ग्वालियर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले दीपक को सिनेमा का शौक शुरू से ही रहा है। सिनेमा कैसे बनता है, इसमें उनकी दिलचस्पी इंजीनियरिंग की पढ़ाई ने जगाई। इंजीनियरिंग करने के बाद वो लंबे समय तक नौकरी के सिलसिले में विदेश में रहे। हिंदी सिनेमा के वरिष्ठ लेखक हबीब खान ने उनके लेखन पर भरोसा जताया। इसके अलावा छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश से आने वालों के लिए रूमी जाफरी हमेशा एक लाइट हाउस की तरह रहे हैं। उनसे वो खूब मिलते रहते थे। वह किंगरानी की कहानियां सुनते और उनका हौसला बढ़ाते रहते थे। अनीस बज्मी ने भी उनके संघर्ष के दिनों में उनकी हिम्मत बनाए रखी।
स्पेशल ऑप्स’ ने दी सही दिशा
7 नवंबर 1982 को भाटापारा में जन्में दीपक किंगरानी अमरीकन कंपनी में लाखों के पैकेज की नौकरी छोड़कर मुंबई चले गये और मशहूर पटकथा लेखक बने। उन्हें हॉटस्टार स्पेशल जासूसी थ्रिलर सीरीज, कोर्ट रूम ड्रामा, सिर्फ एक बंदा काफी है (2023), वेब सीरीज ‘स्पेशल ऑप्स’(2020) मिशन रानीगंज 2023, भैया जी 2024 लिखी है। बतौर संवाद लेखक उनकी पहली फिल्म ‘वॉर छोड़ ना यार’ 2013, पागलपंती (2019) रिलीज हुई थी । हालांकि ‘स्पेशल ऑप्स’ ने उन्हें एक सही दिशा दी।
ट्रस्ट का बिजनेस है फिल्म इंडस्ट्री
दीपक कहते हैं कि फिल्म इंडस्ट्री ट्रस्ट का बिजनेस है। जब तक आपने कुछ लिखा नहीं है, तब तक कोई भरोसा नहीं करता। हर डायरेक्टर-प्रोड्यूसर रोजाना कई कहानियां सुनते हैं, ऐसे में आपको खुद को साबित करना होता है। शुरुआत में सबसे जरूरी है लगातार लिखते रहना। लोगों से मिलते रहना और अपने विचार साझा करते रहना।